Home country नोटबंदी और जीएसटी का नकारात्मक असर खत्म, बाजार में लौटेगी रौनक

नोटबंदी और जीएसटी का नकारात्मक असर खत्म, बाजार में लौटेगी रौनक

71
0
SHARE
Cpx24.com CPM Program

वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक विकास की दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो मोदी सरकार के कार्यकाल में सबसे कम है। इसका कारण वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी को माना जा सकता है। खरीफ उत्पादन में कमी आने से कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर आधी रह गई है। जीएसटी से पहली और दूसरी तिमाही में विनिर्माण पर असर पड़ा है। इसकी वृद्धि दर पूरे साल में 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसकी वजह से शुद्ध कर संग्रह में महज 10.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

इसमें दो राय नहीं है कि वर्ष 2017 में नोटबंदी और जीएसटी के कारण कारोबारियों के लिए अच्छा नहीं रहा, लेकिन इस साल कारोबार की स्थिति अच्छी रहेगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है, क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी दोनों का नकारात्मक असर लगभग खत्म हो चुका है और नए साल में बाजार में मांग व आपूर्ति की दशा एवं दिशा दोनों के बेहतर रहने की उम्मीद है। नए साल में सरकार की योजना ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन करने की है। इसके लिए सरकार इस साल नई रोजगार नीति पेश करने वाली है, जिससे रोजगार सृजन में बेहतरी आएगी। कारोबारियों का भी मानना है कि जीएसटी से उनका काम आसान हुआ है। वैसे, अभी भी कुछ कारोबारियों के बीच जीएसटी को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। ऐसे कारोबारियों का कहना है कि अभी भी जीएसटी की तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं हुई है।

हालांकि वे इस बात से सहमत हैं कि जीएसटी देश और कारोबार के लिए बहुत अच्छा है, लेकिन इसके कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों को दुरुस्त एवं पूरी प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना शेष है। स्थिति में बेहतरी के लिए सरकार इस दिशा में सुधारात्मक कार्य कर रही है और जल्द ही इस दिशा में बेहतर परिणाम दिखेंगे की आशा की जा सकती है।

अर्थव्यवस्था पकड़ेगी रफ्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी, जिससे कारोबारियों की बिक्री एवं मुनाफे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। असंगठित क्षेत्र में लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी थी, लेकिन हालात में सुधार आने के बाद कारोबार बेहतर होने लगे हैं। कारोबारियों का मानना है कि इस साल निजी एवं सरकारी दोनों तरह के निवेशों में बढ़ोतरी होगी, जिससे उत्पादों के निर्माण, मांग, आपूर्ति आदि में वृद्धि होगी। इस आधार पर कारोबारी आशान्वित हैं कि इस साल कारोबार में अच्छी वृद्धि होगी। नए साल में अर्थव्यवस्था की रफ्तार 7.5 प्रतिशत से अधिक रहेगी। टायर निर्माता सिएट के प्रबंध निदेशक अनंत गोयनका के अनुसार देश में कारोबारी माहौल में सुधार आने से कारोबारी उत्साहित हैं। कारोबारियों का यह भी मानना है कि इस साल डॉलर की तुलना में रुपया मजबूत होगा।

29 दिसंबर को रुपया प्रति डॉलर 63.9 के अंक पर बंद हुआ था। वैसे, रुपया की मजबूती मूल रूप से अमेरिका में ब्याज दर की बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा। पिछले साल एक अच्छी बात यह देखने को मिली कि कर वसूली के मामले में कारोबारियों का भयादोहन नहीं किया गया, जबकि 2016 में कारोबारियों के बीच भय का माहौल बना हुआ था। माहौल के सकारात्मक होने से इस साल के प्रस्तावित बजट से कारोबारी ढेर सारी उम्मीदें लगाए हुए हैं। 2019 में होने वाले आम चुनाव की वजह से मोदी सरकार इस साल अपना अंतिम बजट पेश करेगी। इसलिए सरकार भी सभी वर्ग की बेहतरी के लिए कुछ न कुछ जरूर करना चाहती है।

हालांकि, राजकोषीय घाटे को लेकर सरकार का रवैया थोड़ा सख्त भी है। इसलिए सरकार खर्च में कटौती करने के लिए परिस्थितियों और महंगाई के समानुपातिक नौकरीपेशा लोगों के वेतन एवं भत्ताें को संतुलित करना चाहती है।