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कोविड-19 के  फ्रंटलाइन वोकल्स  नर्सऔर मेडिकल से जुड़े और भी कई लोग जिन्होंने अपनी जान गवा दी इन्होंने देश की सेवा लोगों की सेवा के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर दिया पिछली लहर से इस लहर  तक अब तक कम से कम 1000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी लेकिन उन्होंने  कई लोगों को मौत के मुंह से बचाया दिन रात मेहनत करते रहे अपने घर परिवार को छोड़कर एक्स्ट्रा शिफ्ट में काम किया लेकिन इन सबके बावजूद भी किसी किसी डॉक्टर उसको अपनी जान गावनि पड़ी . इंडियन मेडिकल एसोसिएशन IMA ने कहा है कि देश में COVID महामारी की दूसरी लहर के दौरान पांच सौ चौरन्वे, डॉक्टर्स  की मौत हो गई। भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक डॉक्टरों की मौत का विवरण देते हुए कहा कि अकेले दिल्ली में एक सौ सात डॉक्टरों की मौत हुई। आईएमए द्वारा प्रस्तुत राज्यवार आंकड़ों से पता चलता है कि दूसरी कोविड लहर में मरने वाले लगभग हर दूसरे डॉक्टर की या तो दिल्ली बिहार या उत्तर प्रदेश में हुए ।

दूसरी लहर में मरने वाले डॉक्टरों में इन तीनों राज्यों की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है। कुल मिलाकर आईएमए ने कहा कि पिछले साल महामारी शुरू होने के बाद से अब तक कोविड से लड़ते हुए लगभग एक हजार तीन सौ डॉक्टरों की मौत हो गई है।आईएमए ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखकर स्वास्थ्य संबंधी हिंसा के खिलाफ एक प्रभावी और मजबूत कानून बनाने की मांग की। डॉ सेज कुमार पर बर्बर हमला था। आईएमए ने कहा कि यह बेहद अमानवीय हमला था। डॉक्टर राज्य के होजल जिले के कोविड केयर सेंटर में कार्यरत था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मंत्री से आपातकालीन आधार पर उनकी अपील पर विचार करने और देश के स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए मजबूत और प्रभावी अधिनियम बनाने का आग्रह किया।

आईएमए ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल हिंसा हिंसक घटनाएं हैं जो डॉक्टरों के स्वास्थ्य कर्मचारियों और स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों के खिलाफ या बिना कारण के निर्देशित की जाती हैं। इसने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल हिंसा की घटनाओं में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है और यह व्यापक हो गई है और चिकित्सा पद्धति के लिए खतरा बन गई है। इसने कहा कि महामारी के दौरान चिकित्सा बिरादरी अथक रूप से काम कर रही है और स्वास्थ्य संबंधी हिंसा से भी गंभीर खतरे का सामना कर रही है। आईएमए ने इससे पहले दिन में असम सरकार से डॉक्टर पर हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया था। इसने मांग की कि सभी अस्पतालों को प्रोटेक्टिव जोन घोषित किया जाए। असम मेडिकल सर्विस एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे पर आईएमए को लिखा था